“माँ की ममता और बेटी का भविष्य एक कठिन फैसला“

मैं खुशबू, प्रीति की दोस्त हूँ। प्रीति एक गाँव की लड़की है, उन्होंने अपनी पढ़ाई गाँव से ही पूरी की थी। वो i-saksham संस्था में दो वर्ष के फेलोशिप पूरा की हैं, उसके बाद वह घर पे ही थी। 

मेरी एक दोस्त हैं 


वह रात मेरे जीवन की सबसे परेशानी वाला रात में से एक थी। अचानक मेरे फ़ोन में आदित्य सर का कॉल आया। उनके कॉल का मतलब हमेसा किसी न किसी नए चुनौती से होता है। कॉल उठते ही सर ने मेरी तारीफ की, और मुझे एहसास हुआ की मेरे कामों ने उनका विश्वास जित लिया।  


उसके बाद सर अपनी चुनौती का बात रखे - ‘प्रीती को किशनगंज जाना है’ किसी भी तरह से उसे गॉव से बहार निकालना हैं।’ उस समय आदित्य सर के चेहरा पे बहुत परेशानी दिख रहा था। मै सर के परेशानी को देख कर मै सुबह जाने के लिए तैयार हो गई , लेकिन रातभर सो नहीं पाई। क्युकी प्रीती के माँ नहीं जाने दे रहे थे। उसकी माँ से i-saksham के टीम बात किये थे, लेकिन फिर भी नहीं माने। रातभर मेरा मन में प्रीती और उसकी माँ के बारे में सोचता रहा। कैसे समझाऊं? कैसे उन्हें मनाऊं?


सुबह 4 बजे ही उठ गई, और प्रीती के घर जाने के लिए तैयार हो गई।  प्रीती की माँ ने मुझे आते देख कर बोले की आखिर आप आ ही गई, लेकिन उनकी आँखों में गहरे दुःख और आसू छाया हुई थी। मैंने उन्हें समझाया की अगर आप आज प्रीती को मौका मिलता है, तो वक कुछ बड़ा कर सकती है। पर माँ का दिल कैसे मानें? उनके आसुओ ने मुझे भी हिला दिया।


जब मैंने देखा की प्रीती की माँ को मनाना इतना आसान नहीं है, तो मैंने आदित्य सर को कॉल किया। सर ने उन्हें समझाने के लिए एक बेहद बातें कहीं - जब प्रीति पेट में थी, आपने कितने कष्ट सहे, अछे के लिए थोडा सहन करना पड़ेगा। सर की बातो का असर हुआ, और आख़िरकार प्रीती की माँ मान गई। 


प्रीती और मैं बस में बैठ गए। प्रीती बार-बार पीछे मुड़कर अपनी माँ को देख रही थी, मानो उसका दिल वहां छुट गया हो। मुझे डर था की कहीं वह अपना मन न बदल ले और वापस घर न चली जाए। जब ट्रेन चल पड़ी और मैंने प्रीती को ट्रेन में बैठा देखा, तब जाकर मुझे संतोष हुआ। मै खुद भूखी-प्यासी थी, लेकिन दिल में एक अजीब सा सुकून था, की मैंने वह काम कर दिखाया, जिसके लिए सर ने मुझ पर भरोसा किया था। 


अगले दिन मुझे यह सुनकर बेहद ख़ुशी हुई की प्रीती ने वह हासिल कर लिया, जो हम तिन-चार दिनों से नहीं कर पा रहे थे। मेरे लिए यह गर्व का पल था की मैंने उसकी मदद की।“ 


खुशबू कुमारी 

बडी इंटर्न 

गया


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