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Showing posts from April, 2024

सबित खुद में लाई बदलाव

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  सबित खुद में लाई बदलाव     Friday ,8 march 2024                                               साबित voice and choice  for every woman को ले कर आवाज उठाये  जैसे की इन 8 महीनों मे हम अपना  voice and choice को रखते आ रहे है सबसे पहले साबित  अपना voice को  घर से शुरुआत किये  एक दिन ऑफिस  मे सेशन  में जाना  था तो घर वाले   बोल रहे थे की मत जाओ तो मै अपना अबाज उठाई और  बोली की आज मेरा सेशन है सेशन मे जाना जरूरी होता है और मेरा choice था की हम ऑफिस में  सेशन करने जाये उसके बाद मै घर वालो बोल कर सेशन के लिए चले गये ऑफिस    जब भी मैं कम्युनिटी विजिट में जाते तो यह लगत था कि मैं पेरेंट्स से कैसे बात करूंगी मुझे थोड़ा काफी डर लगता था जब मैं कम्युनिटी  विजिट करने जाने लगे तो हमें यह लगा क...

अशिक्षित को शिक्षा दो, अज्ञानी को ज्ञान, शिक्षा से ही बन सकता है, मेरा भारत देश महान

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  अशिक्षित को शिक्षा दो, अज्ञानी को ज्ञान, शिक्षा से ही बन सकता हैं, मेरा भारत देश महान...   March 16 2024                   चिलमी में बच्चों के पैरेंट्स से बच्चों को नामांकन के लिए तैयार करवाना था , जिसमें और बच्चे का नामांकन है और छोटे बच्चे हैं, और दो बच्चे तैयार है जिसमें एक बच्चे का आधार कार्ड नहीं है, जिसके कारन मुखिया जी के घर भी गए थे बच्चे का आधार कार्ड बनवाने के लिए लेकिन मुखिया जी घर पर नहीं मिले। इसके बाद मुझे आगे और मोरैनिया भी जाना था बच्चे को नामांकन के लिए तैयार करने के लिए वहा पांच बच्चे को तैयार करवाईं। और फिर मोरैनिया विघालय में गई और नामांकन के लिए शिक्षक से बात चीत किये तो शिक्षक बोले कि कोई दिक्कत नहीं नामांकन हो जाएगा। इसपर मुझे बहुत खुशी हुई। चलिए हमारे भावनाओं को समझने वाले कोई भी तो ऐसे इंसान हैं जो कि हमारे मेहनत कों देखकर उनके मन में स्वयं विचार विमर्श हुआ कि इन्होंने इतना मेहनत कर घर - घर में जाकर अनामांकित  बच्चे को शिक्षा प्रदान करने के लिए विघालय से ...

बच्चो में ख़ुशी की लहर

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                                             i-saksham    friday, march 29, 2024                     बच्चो में ख़ुशी की  लहर    जब मै विद्यालय गयी ,तो बच्चे बहोत खुश नज़र आ रहे थे । कारण आप तस्वीर मे देख सकते है ।  यह तस्वीर मध्य विद्यालय हरिहरपुर , आमस (गया)  की है ।          हमारे विद्यालय मे एक टूटा हुआ बहुत हि पुराना जर्ज़र भवन था।जिसे कई सालो से हमारे स्कूल के प्रधानाध्यापक तोड़ना चाहते थे ,क्यूंकि यह भवन विद्यालय के बीचो बिच था जिस कारण बच्चो को खेलने के लिए पर्याप्त जगह नही मिल पाता ,जगह कम होने के कारण स्कूल मे कोई कार्यक्रम भी नही हो पाता ।           लेकिन मुझे इसका आभास तब हुआ जब मैने मेरे स्कूल मे बाल उत्सव के लिए कहा ,तो मुझे जबाब आया की आपके स्कूल मे जगह हि नहीं है बाल उत्सव नहीं हो पायेगा। मै बहोत मायुश हो गयी , क्युकी मै चाहती थी...