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“शिक्षा का महत्त्व”

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  जो शिक्षा भूले -भटके उनको हम राह दिखाएंगे। ज्ञान- विज्ञान के संस्कारों से शिक्षा का प्रकाश फैलाएंगे। शिक्षित हैं हम ज्ञान की ज्योति सब के मन में जलाएंगे।  ऊंच - नीच और जात-पात का भी हम भेद मिटाएंगे। समानता का संगीत रचेंगे ज्ञान का अलख जगायेंगे। शिक्षित हैं हम ज्ञान की ज्योति सबके मन में जलाएंगे।  भूल गए जो अंधियारों में वहां उजाला लाएंगे। शिक्षित हैं हम ज्ञान की ज्योति सब के मन में जलाएंगे। खेल-खेल में पढ़ना सीखा ढंग नए अपनाएंगे। चहक उठेगा सबका जीवन सब बच्चे मुस्काएगे। शिक्षित हैं हम  ज्ञान की ज्योति सबके मन में जलाएंगे। शिक्षा की महिमा निश दिन गाए हर दिन उनका नमन करें। जीवन में उजियाली भरकर अंधियारों कों दूर करे।  सत्य मार्ग पर चलते रहना शिक्षा हमें सिखाती है। धरती पर वृक्ष लगने को हमें पर्यावरण सिखाती है। पानी अमृत है धरती का हर दिन इसका सिंचाई करें।  सिर्फ जीये न अपने खातिर दूसरों को हम भलाई करें। सब बच्चों को ज्ञान सीखाना यह संकल्प हमारा है। अपना जीवन सफल बनाए शिक्षा का ज्ञान हमारा है। शिक्षा की महिमा निश दिन गाए हर दिन उनका नमन करें। जीवन में उजियाली...

बड्डी में मेरा सफ़र

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मै अंजना वर्मा, गया जिला से हूँ। आज मै आप सभी के साथ अपने जीवन का एक अनमोल अनुभव साझा करना चाहती हूँ, जो मेरे लिए बहुत ही खास है। मै 2020 से 2022 तक एडू लीडर के फेल्लोशिप कर चूका हुआ, उसके बाद मै मत्री प्रोजेक्ट में काम कर रही थी। जब वह प्रोजेक्ट समाप्त हुआ, मै घर पे ही रहती थी । 02/09/2024  मुझे श्रृंखला दीदी का फोन आया । उन्होंने बताया की मै “बड्डी” के लिए चुन ली गई हूँ और 03/09/2024 से मुझे ऑफिस आना है। यह सुन कर मै बेहद खुश हुई। मुझे लगा की चार साल बाद मुझे “बड्डी” में काम करने का सुनहरा अवसर मिला हैं।   03/09/2024 से 25/09/2024 तक का अनुभव  जब मै पहली बार ऑफिस पहुची, तो माहौल बहुत अच्छा लगा। यहाँ काम करने के दौरान मैंने बहुत कुछ सिखा। सबसे पहले, मुझे चाइल्ड प्रोफाइल भरना सिखाया गया। इसे करने में शुरुआत में कठिनाई आई, लेकिन जल्दी ही सब ठीक हो गया। इसके बाद, स्कूल जा कर बच्चो को असर टेस्ट लेना भी सिखा। इसके साथ ही, मुझे टाउन हॉल के बारे में भी जानने का मौका मिला, जहाँ हर दिन के अनुभव और चर्चाओं को साझा किया जाता है। टाउन हॉल में भाग लेना एक रोमांचक अनुभव रहा। मैंने य...

प्राइवेट स्कूल और सरकारी स्कूल में नामांकन की समस्या

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आज मैं 3 school में और गांव में गई थी तो उसी को अनुभव साझा कर रही हूं। सबसे पहले मैं आज महापुर गांव में गई थी और आज मैं सीमा दीदी को स्पोर्ट में लिए थे। क्युकी यहां पर दो ऐसी लड़की है जो एक  दम भी नही सुन रही थी।यह pr जाते थे तो कभी जंगल तो कभी दीदी  घर,तो कभी छुप जाती हैं।इस तरह से एनलॉग के लिए presan होते थे । अपलॉग school क्यू नही जाते है तो unlog बोलती है कि hm। N पढ़ेंगे तो उसको मम्मी से भी बोले तो बोल रही है की hm bolte है दीदी लेकिन नही सुनती है तो hm kya कर सकते है। यह pr अब आते आते थक चुके थे।   आज hm और सीमा di गए तो unlog nahi मिली घर में गए तो एक काजल कुमारी के भाभी से बात किए तो वो बोली की दीदी नही है तो हम बोले की कहा गई है तो बोली की sb धान रोपने मगह दूसरे जगह चल गई है तो kb abegi bol rhi hai ki 8 दिन बाद अबेगी तो हमलोग बोले की दीदी उसको पढ़ने के लिए क्यू नही भेजते है तो उसकी भाभी बोली की हम बोलते है दीदी लेकिन नही सुनती है तो hm kya कर सकते है और हमको से लड़ने लगती है मुंह लगाने लगती हैं तो hm nahi बोलते है।  इस प्रकार से एक और के घर गए तो उनकी मम्मी ...

“माँ की ममता और बेटी का भविष्य एक कठिन फैसला“

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मैं खुशबू, प्रीति की दोस्त हूँ। प्रीति एक गाँव की लड़की है, उन्होंने अपनी पढ़ाई गाँव से ही पूरी की थी। वो i-saksham संस्था में दो वर्ष के फेलोशिप पूरा की हैं, उसके बाद वह घर पे ही थी।  मेरी एक दोस्त हैं  वह रात मेरे जीवन की सबसे परेशानी वाला रात में से एक थी। अचानक मेरे फ़ोन में आदित्य सर का कॉल आया। उनके कॉल का मतलब हमेसा किसी न किसी नए चुनौती से होता है। कॉल उठते ही सर ने मेरी तारीफ की, और मुझे एहसास हुआ की मेरे कामों ने उनका विश्वास जित लिया।   उसके बाद सर अपनी चुनौती का बात रखे - ‘प्रीती को किशनगंज जाना है’ किसी भी तरह से उसे गॉव से बहार निकालना हैं।’ उस समय आदित्य सर के चेहरा पे बहुत परेशानी दिख रहा था। मै सर के परेशानी को देख कर मै सुबह जाने के लिए तैयार हो गई , लेकिन रातभर सो नहीं पाई। क्युकी प्रीती के माँ नहीं जाने दे रहे थे। उसकी माँ से i-saksham के टीम बात किये थे, लेकिन फिर भी नहीं माने। रातभर मेरा मन में प्रीती और उसकी माँ के बारे में सोचता रहा। कैसे समझाऊं? कैसे उन्हें मनाऊं? सुबह 4 बजे ही उठ गई, और प्रीती के घर जाने के लिए तैयार हो गई।  प्रीती की माँ...

सबित खुद में लाई बदलाव

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  सबित खुद में लाई बदलाव     Friday ,8 march 2024                                               साबित voice and choice  for every woman को ले कर आवाज उठाये  जैसे की इन 8 महीनों मे हम अपना  voice and choice को रखते आ रहे है सबसे पहले साबित  अपना voice को  घर से शुरुआत किये  एक दिन ऑफिस  मे सेशन  में जाना  था तो घर वाले   बोल रहे थे की मत जाओ तो मै अपना अबाज उठाई और  बोली की आज मेरा सेशन है सेशन मे जाना जरूरी होता है और मेरा choice था की हम ऑफिस में  सेशन करने जाये उसके बाद मै घर वालो बोल कर सेशन के लिए चले गये ऑफिस    जब भी मैं कम्युनिटी विजिट में जाते तो यह लगत था कि मैं पेरेंट्स से कैसे बात करूंगी मुझे थोड़ा काफी डर लगता था जब मैं कम्युनिटी  विजिट करने जाने लगे तो हमें यह लगा क...

अशिक्षित को शिक्षा दो, अज्ञानी को ज्ञान, शिक्षा से ही बन सकता है, मेरा भारत देश महान

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  अशिक्षित को शिक्षा दो, अज्ञानी को ज्ञान, शिक्षा से ही बन सकता हैं, मेरा भारत देश महान...   March 16 2024                   चिलमी में बच्चों के पैरेंट्स से बच्चों को नामांकन के लिए तैयार करवाना था , जिसमें और बच्चे का नामांकन है और छोटे बच्चे हैं, और दो बच्चे तैयार है जिसमें एक बच्चे का आधार कार्ड नहीं है, जिसके कारन मुखिया जी के घर भी गए थे बच्चे का आधार कार्ड बनवाने के लिए लेकिन मुखिया जी घर पर नहीं मिले। इसके बाद मुझे आगे और मोरैनिया भी जाना था बच्चे को नामांकन के लिए तैयार करने के लिए वहा पांच बच्चे को तैयार करवाईं। और फिर मोरैनिया विघालय में गई और नामांकन के लिए शिक्षक से बात चीत किये तो शिक्षक बोले कि कोई दिक्कत नहीं नामांकन हो जाएगा। इसपर मुझे बहुत खुशी हुई। चलिए हमारे भावनाओं को समझने वाले कोई भी तो ऐसे इंसान हैं जो कि हमारे मेहनत कों देखकर उनके मन में स्वयं विचार विमर्श हुआ कि इन्होंने इतना मेहनत कर घर - घर में जाकर अनामांकित  बच्चे को शिक्षा प्रदान करने के लिए विघालय से ...

बच्चो में ख़ुशी की लहर

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                                             i-saksham    friday, march 29, 2024                     बच्चो में ख़ुशी की  लहर    जब मै विद्यालय गयी ,तो बच्चे बहोत खुश नज़र आ रहे थे । कारण आप तस्वीर मे देख सकते है ।  यह तस्वीर मध्य विद्यालय हरिहरपुर , आमस (गया)  की है ।          हमारे विद्यालय मे एक टूटा हुआ बहुत हि पुराना जर्ज़र भवन था।जिसे कई सालो से हमारे स्कूल के प्रधानाध्यापक तोड़ना चाहते थे ,क्यूंकि यह भवन विद्यालय के बीचो बिच था जिस कारण बच्चो को खेलने के लिए पर्याप्त जगह नही मिल पाता ,जगह कम होने के कारण स्कूल मे कोई कार्यक्रम भी नही हो पाता ।           लेकिन मुझे इसका आभास तब हुआ जब मैने मेरे स्कूल मे बाल उत्सव के लिए कहा ,तो मुझे जबाब आया की आपके स्कूल मे जगह हि नहीं है बाल उत्सव नहीं हो पायेगा। मै बहोत मायुश हो गयी , क्युकी मै चाहती थी...